हाल ही में नेपाल ने चीन के साथ बेल्ट एंड रोड समझौते पर साइन किया है। अब नेपाल के पूर्व डिप्टी पीएम रघुबीर महासेठ इसको लेकर भारत को ज्ञान देने लगे हैं। सत्तारूढ़ सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता ने शुक्रवार को कहाकि भारत नेपाल के इस फैसले पर आपत्ति नहीं जतानी चाहिए। नेपाल और चीन के बीच कई अरब डॉलर के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) समझौते पर बुधवार को हस्ताक्षर किए गए। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो गया। इस समझौते पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन की आधिकारिक यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किये गए।
बीआरआई एक बड़ी संपर्क परियोजना है, जो चीन को दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ती है। महासेठ ने यहां प्रधानमंत्री ओली की चीन यात्रा के बाद बीआरआई का कार्यान्वयन शीर्षक वाले संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहाकि भारत को नेपाल द्वारा चीन के साथ बीआरआई सहयोग रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करने पर आपत्ति नहीं जतानी चाहिए क्योंकि इससे भारत को भी लाभ होगा।
पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहाकि अगर नेपाल और चीन को जोड़ने के लिए रेलवे व सड़क जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाता है तो इसका उपयोग भारत द्वारा भी किया जा सकता है। इसलिए भारत को इस तरह के समझौते से डरने की कोई जरूरत नहीं है। महासेठ ने कहा कि अगर नेपाल अपने हितों को ध्यान में रखते हुए चीन से ऋण लेता है तो भी किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल अपने क्षेत्र में दोनों पड़ोसियों भारत और चीन के खिलाफ गतिविधियों की अनुमति नहीं देगा।
उल्लेखनीय है कि भारत ने बीआरआई पर आपत्ति जताई है और इस परियोजना के विरोध में दृढ़ता से खड़ा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की इस परियोजना का उद्देश्य बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश के जरिए चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है।