Report by manisha yadav
रायपुर । हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने उत्साह और उल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस का 78वाँ वर्ष मनाया। इस समारोह में छात्रों, स्टाफ और फैकल्टी ने भाग लिया। कुलपति प्रोफेसर वीसी विवेकानंदन ने गार्ड ऑफ ऑनर लिया और परिसर में तिरंगा फहराया, और उपस्थित लोगों को संबोधित किया। उन्होंने दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करके स्वतंत्रता को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें कानूनी शिक्षा और कानूनी बिरादरी एक लोकतंत्र में स्वतंत्रता के मूल्यों को संरक्षित करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए “संविधान @ 75: एचएनएलयू सीरीज़” का भी शुभारंभ किया। “सेंटर फॉर कोंस्टीटूशनल लॉ एंड फेडरलिस्म” तथा “सेंटर फॉर इनोवेशन एंड आईपी पालिसी” द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम श्रृंखला स्वतंत्रता दिवस से शुरू हुई और छह महीने तक चलेगी, जिसका समापन 26 जनवरी 2025 को होगा।
इस कार्यक्रम श्रृंखला के माध्यम से, एचएनएलयू का उद्देश्य न केवल विश्व राष्ट्र-राज्यों में एक पोषित संविधान का उत्सव मनाना है, बल्कि लीगल फ्रेटर्निटी और यहां तक कि उन स्कूलों तक पहुंचना है जहां भारतीय राष्ट्र राज्य के भावी वास्तुकार उभरेंगे। इस श्रृंखला का उद्देश्य हमारे संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों और साथ ही तकनीकी क्रांति के समय में इसके विकासवादी पथ के माध्यम से भविष्य के भारत की नींव तक पहुंचना है।
ध्वजारोहण के बाद, श्रृंखला की शुरुआत ‘दी इंडियन कंस्टीटूशन : कनक्वेस्ट एंड टर्बुलेन्स’ विषय पर एक गोलमेज चर्चा के साथ हुई। गोलमेज में प्रोफेसर (डॉ.) अजीम खान पठान, डीन और प्रोफेसर, कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर, डॉ. दीपक श्रीवास्तव (डीन यूजी, एचएनएलयू) और डॉ. अविनाश समाल (डीन सामाजिक विज्ञान और छात्र कल्याण, एचएनएलयू), शांतनु पटेल (स्नातक अध्ययन का प्रतिनिधि) और सुश्री हरसिमरन कौर (स्नातकोत्तर अध्ययन का प्रतिनिधि) शामिल थे। गोलमेज में भारतीय संविधान के ऐतिहासिक महत्व और चल रही चुनौतियों पर चर्चा हुई , एवं पिछले 75 वर्षों में इसकी लचीलेपन और अनुकूलन क्षमता पर विचार किया गया।
कार्यक्रम के दौरान, मुख्य अतिथि डॉ. अजीम पठान ने आज हमारी विधायिका के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों पर प्रकाश डाला और उन सुधारों की संभावना पर जोर दिया जो हमारे लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में इसकी स्थिति को बहाल करने में मदद कर सकते हैं।
पिछले 75 वर्षों में न्यायपालिका और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका और विकास पर बोलते हुए, यूजी अध्ययन के डीन डॉ. दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि चुनौतियों को नेविगेट करने की न्यायपालिका की क्षमता हमारे संवैधानिक ढांचे की पवित्रता को बनाए रखने और साथ ही भारत के गतिशील सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य के अनुकूल होने में महत्वपूर्ण रही है।
केंद्र-राज्य संबंधों और सहकारी संघवाद पर चर्चा करते हुए, डॉ. अविनाश समाल ने केंद्र और राज्यों के बीच सत्ता के नाजुक संतुलन पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि संघवाद ताकत और विवाद दोनों का स्रोत रहा है और इस संबंध का प्रबंधन भारत के भविष्य के शासन के लिए महत्वपूर्ण होगा।
शांतनु पटेल ने संविधान और उसके नागरिकों के बीच विकसित होते हुए संबंधों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और सुश्री हरसिमरन कौर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मौलिक अधिकारों का संरक्षण एक गतिशील क्षेत्र है जिसे नए युग की चुनौतियों के अनुकूल होना चाहिए और साथ ही अपने मूल इरादे के प्रति सच्चा रहना चाहिए।
जनवरी 2025 तक चलने वाले छह कार्यक्रमों वाली श्रृंखला में एचएनएलयू प्रेस द्वारा प्रकाशित एक प्रकाशन ‘संविधान 75- अतीत, वर्तमान और भविष्य’ भी शामिल होगा। इस उत्सव के हिस्से के रूप में शैक्षिक टूलकिट, ई-डॉक्यूमेंट और अन्य शोध मोनोग्राफ का भी उत्पादन करेगा। इससे पहले, कार्यक्रम में डॉ. विपन कुमार, प्रभारी रजिस्ट्रार ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और प्रो योगेंद्र श्रीवास्तव, पीजी के डीन ने अपने उद्घाटन भाषण दिए। कार्यक्रम और श्रृंखला को एचएनएलयू के फैकल्टी सदस्य गरिमा पंवार और अभिनव शुक्ला द्वारा डिजाइन और समन्वित किया जाएगा।