नारायणपुर तेंदूपत्ता, जिसे हरा सोना कहा जाता है, ग्रामीण समुदायों के लिए अतिरिक्त आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में तेंदूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ाकर 5500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दी गई है। जिसने ग्रामीणों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है, तेंदूपत्ता से लोगों की आय दोगुनी हो गई है, तो वहीं बच्चों के शिक्षा के लिए भी सहायता मिल रही है, ग्रामीणों की आमदनी बढ़ने से परिवारिक स्थिति सुधर रही है, साथ ही बच्चों के शिक्षा में अब ग्रामीणों ने ध्यान देना शुरु कर दिया है।
जिले के बोरपाल निवासी गांडोराम सलाम, जो कृषि के साथ-साथ मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं। गांडोराम ने बताया कि 4 हजार बंडल तेंदूपत्ता एकत्रित कर बेचा, जिससे उन्हें 24 हजार 800 रूपए का लाभ हुआ। अपनी कमाई से उन्होंने अपने घर बनायेंगे और खेती-बाड़ी के साथ-साथ परिवारिक कार्यो में भी उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा से 1500 रुपए की वृद्धि से आर्थिक संघर्षों को कम किया है, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य को भी उज्जवल बनाया है। गांडोराम ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस निर्णय से उनकी आमदनी में काफी वृद्वि हुई है।
राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे लोगों की आजीविका में सुधार हुआ है। बढ़ी हुई दरें सुनिश्चित करती हैं कि इन ग्रामीणों को उनकी कड़ी मेहनत के लिए उचित मुआवजा मिले। राज्य के साढ़े बारह लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार जिसमें अधिकांश आदिवासी परिवार हैं। जिला यूनियन नारायणपुर अन्तर्गत 8 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के 165 तेन्दूपत्ता संग्रहण केन्द्रों से 17013 तेन्दूपत्ता संग्राहको द्वारा 19462.205 मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण किया गया। संग्रहित तेन्दूपत्ता के विरूद्ध संग्राहको को 5500 रुपये प्रति मानक बोरा के दर से कुल संग्राहकों को 10 करोड़ 70 लाख 42 हजार 127 रूपए का भुगतान किया गया।