Today

टाइफाइड, डायरिया, डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए जनता से सावधानी बरतने की अपील

Report by manisha yadav

रायपुर। बारिश के मौसम में विभिन्न कीटाणुओं और विषाणुओं के संपर्क में आने से अनेक तरह की बीमारियों का खतरा होता है, जिनकी ओर ध्यान न देने पर गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। मानसून के आगमन के साथ ही राज्य में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए जागरुक करने स्वास्थ्य और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सतत् प्रयासरत है।

स्वास्थ्य विभाग ने इन बीमारियों की रोकथाम के लिए जनता से सतर्कता की अपील की है। इन मानसूनी बीमारियों से बचाव के आवश्यक उपायों व तरीकों का गंभीरता से पालन करें। मानसून के इन्हीं खतरों के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग बीमारियों से सुरक्षा हेतु शहरवासियों एवं ग्राम वासियों को जागरूक करने का निरंतर प्रयास कर रहा है। इस अभियान के तहत् गांवों के आवासों का सर्वे, निरीक्षण, दवाओं का वितरण तथा छिड़काव शुरू हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग का अमला प्रत्येक दिन घर-घर जाकर पानी के पात्रों को खाली कर उनकी सफाई व दवाईयों की छिड़काव आदि करती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग एवं मलेरिया विभाग द्वारा संयुक्त रूप से लगातार उनके प्रशिक्षित कर्मचारियों के सहायोग से घर-घर सर्वेक्षण, दवाईयों के वितरण और छिड़काव आदि के कार्य के साथ गांव के नागरिकों को इसके लिए निरंतर जागरूक भी किया जा रहा है। इन बीमारियों से बचाव हेतु इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीकों की जानकारी होना अति आवश्यक है।

डेंगू के कारण, लक्षण व रोकथाम के उपाय : 

डेंगू एडिस नामक मच्छर के काटने से होता है, इससे बचाव के लिए मच्छरों से बचने का पूरा प्रबंध करें जैसे मच्छरदानी का उपयोग, शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़ों को इस्तेमाल आदि । डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। डेंगू से बचने के लिए सावधानी ही सुरक्षा है, डेंगू से बचाव के उपायों को अवश्य अपनाएं। कूलर, पानी की टंकी, फ्रिज की ट्रे, फूलदान, इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली करें व धूप में सुखाकर प्रयोग करें।  नारियल का खोल, टूटे हुए बर्तन व टायरों में पानी जमा न होने दें, घरों के दरवाजे व खिड़कियों में जाली व परदे लगायें, पैर में मोजे पहने एवं सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

मलेरिया के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय :  

मलेरिया एक गंभीर और कभी-कभी जानलेवा बीमारी है। यह संक्रमित मादा एनाफिलिज़ मच्छर के काटने से फैलती है। आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के 10-15 दिन बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार के साथ कंपकपी आना, पसीना आना, मतली या उलटी, सिरदर्द, दस्त, थकान महसूस होना, शरीर में दर्द इत्यादि हो सकते हैं। इससे बचने के लिए मच्छरों से बचाव के तरीके अपनाएं व लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। घरों में नीम की पत्ती जलाकर धुंआ करें और नाली में कैरोसीन या जला हुआ तेल डालें, जिससे मच्छर का लार्वा नष्ट हो जाता है।

आंत्रज्वर (टायफायड) के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय : 

आंत्रज्वर जीवन के लिए एक खतरनाक रोग है जो सलमोनेल्ला टायफी नामक जीवाणु (बैक्टीरिया) से होता है, जिसकी संभावना बारिश के मौसम में अत्यंत बढ़ जाती है। आंत्रज्वर (टाइफायड) का उपचार सामान्यतः एंटीबायोटिक दवाइयों से किया जा सकता है। इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है। यह रोग गंदे हाथों से खाना खाने से, दूषित पानी व खाना खाने से होता है। टायफायड में दस्त लगना व मल में खून आना, भूख न लगना व कमज़ोरी आना, उल्टियां आना, तेज बुखार व सिर में तेज दर्द होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इसके उपचार के लिए तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, साथ ही समय पर दवाइयों का सेवन करें व पूरी तरह आराम करें। शौच के बाद व खाना बनाने अथवा खाने से पहले हाथ अच्छी तरह से अवश्य धोएं, स्वच्छ पानी पियें और पूर्णतः पका खाना ही खायें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *