Report by manisha yadav
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में अब डिस्टलरी मालिकों की भूमिका पर भी कार्रवाई तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भाटिया डिस्टलरी, वेलकम डिस्टलरी, और केडिया डिस्टलरी संचालकों के खिलाफ विशेष कोर्ट में याचिका दायर कर इन्हें आरोपी बनाने की मांग की है। इस याचिका पर सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
तीसरा पूरक चालान पेश
पिछले महीने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने आबकारी घोटाले में विशेष कोर्ट में 2,000 से अधिक पन्नों का तीसरा पूरक चालान पेश किया था। इसमें अनिल टुटेजा, सुनील दत्त, और विकास अग्रवाल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ नए सबूत पेश किए गए।
विकास अग्रवाल उर्फ शिबू: वह फरार है और उसकी फरारी का चालान कोर्ट में पेश किया गया है।
अनवर ढेबर का करीबी सहयोगी: विकास अग्रवाल को इस घोटाले का मास्टरमाइंड अनवर ढेबर का विश्वसनीय सहयोगी बताया गया है।
अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी से पूछताछ
मेरठ जेल में बंद आरोपी अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी (एपी त्रिपाठी) को रायपुर लाने के बाद ईडी ने रिमांड पर लेकर पूछताछ की।
ईडी का बयान: अनवर ढेबर ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के साथ मिलकर आबकारी विभाग में एक संगठित सिंडिकेट बनाया था।
टुटेजा की भूमिका: विभाग में अपने पसंदीदा अफसरों की नियुक्ति कर, अवैध गतिविधियों को संचालित करने में मदद की।
ईडी ने जांच में पाया कि अनवर ढेबर की आबकारी विभाग में भूमिका किसी मंत्री जैसी थी।
नकली होलोग्राम: एपी त्रिपाठी और विधु गुप्ता ने सरकारी शराब दुकानों में अवैध शराब बेचने के लिए नकली होलोग्राम का उपयोग किया।
बेहिसाब बिक्री: एपी त्रिपाठी ने 15 जिलों में आबकारी अधिकारियों को अवैध शराब बिक्री के निर्देश दिए।
2,100 करोड़ का राजस्व नुकसान
ईडी की जांच के मुताबिक, 2019 से 2022 के बीच यह घोटाला तीन वर्षों तक चला। सिंडिकेट ने 2,100 करोड़ रुपए की अवैध कमाई की। ईडी ने आरोपियों की 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को जब्त किया, जिनकी कुल कीमत 205.49 करोड़ रुपए आंकी गई है।
तीन कैटेगरी में हुआ घोटाला
ईडी ने इस घोटाले को तीन श्रेणियों ए, बी और सी में विभाजित किया है। पहला नकली होलोग्राम का उपयोग, दूसरा बेहिसाब शराब बिक्री और तीसरा है राजस्व में हेराफेरी।
आगे की कार्रवाई
शराब घोटाले की जांच में ईडी लगातार नए सबूत जुटा रही है। डिस्टलरी मालिकों को आरोपी बनाए जाने की याचिका पर 20 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में बड़ा फैसला आने की उम्मीद है। इस मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है।