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सुप्रीम कोर्ट की मदरसा बंद करने के आदेश पर रोक, याचिकाकर्ताओं को मिली राहत

Report by manisha yadav

नई दिल्ली. NCPCR चीफ ने 12 अक्टूबर को कहा था कि आयोग ने 9 साल की रिसर्च में पाया है कि मदरसों के 1.25 करोड़ बच्चे बुनियादी शिक्षा से वंचित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मदरसों को लेकर दो फैसले दिए। पहला- केंद्र और राज्य सरकारों को मदरसे बंद करने के फैसले पर रोक लगा दी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने 7 जून और 25 जून को राज्यों को इससे संबंधित सिफारिश की थी। केंद्र ने इसका समर्थन करते हुए राज्यों से इस पर एक्शन लेने को कहा था।

दूसरा- कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के उस आदेश पर भी रोक लगाई, जिसमें मदरसों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को सरकारी स्कूल में ट्रांसफर करना था। इसमें गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के साथ-साथ सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम स्टूडेंट्स शामिल हैं।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने केंद्र सरकार, NCPCR और सभी राज्यों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा।

बेंच ने कहा कि यह रोक अंतरिम है। जब तक मामले पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक राज्य मदरसों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। बेंच ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी याचिका में पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी।

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