Report by manisha yadav
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में मंगलवार को रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर 272वीं सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान कई गंभीर मामलों का खुलासा हुआ, जिसमें शासकीय शिक्षकों के अवैध संबंधों और कार्यस्थल पर अश्लील संदेश भेजने के मामले शामिल हैं।
अश्लील मैसेज प्रकरण में अन्य लोगों को भी पक्षकार बनाया जाएगा
एक प्रकरण में आवेदिका ने शिकायत की थी कि अनावेदक ने उसे अश्लील संदेश भेजे और कार्यस्थल पर छेड़छाड़ की। आवेदिका के मोबाइल पर अनावेदक के नंबर से आए संदेशों का दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत किया गया, जिसमें “SEX” लिखा था। इस मामले में, आयोग ने निर्णय लिया है कि प्रकरण में अन्य संबंधित व्यक्तियों को भी पक्षकार बनाया जाएगा और मामले का निष्पक्ष समाधान किया जाएगा।
शासकीय शिक्षक और शिक्षिका ने स्वीकारा अवैध संबंध, निलंबन की सिफारिश
एक अन्य प्रकरण में, शासकीय विद्यालय में कार्यरत एक शिक्षक ने स्वीकार किया कि वह अपनी पत्नी और बच्चों से तीन साल से अलग रह रहा है और उसका उसी विद्यालय में कार्यरत एक महिला के साथ अवैध संबंध है। इस मामले में, आयोग ने शासकीय सेवा में रहते हुए अवैध संबंध रखने को कानूनी अपराध मानते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को दोनों शिक्षकों के निलंबन के लिए पत्र भेजने का निर्णय लिया है। साथ ही, महिला को सुधरने का मौका देते हुए उसे 2 महीने के लिए नारी निकेतन भेजने का आदेश भी दिया गया।
भरण-पोषण और विवाह संबंधी मामलों में आयोग की सख्त कार्रवाई
सुनवाई में एक अन्य प्रकरण में, अनावेदक ने आवेदिका को भरण-पोषण देने से इंकार किया था, लेकिन विवाह का सामान लौटाने के लिए सहमत हुआ। आयोग ने निर्देश दिया कि काउंसलर की उपस्थिति में आवेदिका को उसका सामान दिलवाया जाएगा, और विरोध होने की स्थिति में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
एक और प्रकरण में, अनावेदक ने पिछले आदेश की अवहेलना करते हुए संपत्ति आवेदिका के बेटे के नाम करने से इंकार कर दिया। इस पर आयोग ने आवेदिका को न्यायालय में केस दर्ज कराने का निर्देश दिया।
एस.डी.एम. और उप पंजीयक को तलब किया जाएगा
महिला आयोग ने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही के एस.डी.एम. और उप पंजीयक को भी पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तलब करने का निर्णय लिया है, ताकि प्रकरणों की गहन जांच की जा सके और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
इन मामलों ने छत्तीसगढ़ में महिला सुरक्षा और सरकारी कर्मियों की नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आयोग की सख्त कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि महिला उत्पीड़न के मामलों में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।