Report by manisha yadav
सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति के तहत सोमवार को बड़ी सफलता मिली, जब कुल 24 लाख रुपये के इनामी 6 नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ के सामने आत्मसमर्पण किया। इन नक्सलियों में एक दंपती भी शामिल है, जिनमें से प्रत्येक पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था।
आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत शासन की सुविधाओं का लाभ मिलेगा। इन नक्सलियों ने सीआरपीएफ डीआईजी आनंद सिंह और सुकमा एसपी किरण चव्हाण के सामने आत्मसमर्पण किया। अधिकारियों ने इस मौके पर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास योजनाओं की जानकारी दी और भविष्य में मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया।
पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर किया सरेंडर
आत्मसमर्पण के दौरान इन नक्सलियों ने स्वीकार किया कि वे लंबे समय से संगठन में सक्रिय थे, लेकिन नियद नेल्ला नार और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया।
आत्मसमर्पण से बढ़ी सुरक्षा बलों की हौसलाअफजाई
यह आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों के लिए बड़ी उपलब्धि है, जिससे क्षेत्र में शांति बहाली के प्रयासों को नई ताकत मिली है। सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि जिले में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन और पुनर्वास नीति की वजह से नक्सली संगठनों में फूट पड़ रही है, और कई नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
सरकार की पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर किया सरेंडर
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे वे समाज में अपनी पहचान बना सकें। नीति के अंतर्गत उन्हें विभिन्न आर्थिक और सामाजिक योजनाओं का लाभ मिलता है। अधिकारियों ने बताया कि इन नक्सलियों को अब पुनर्वास योजना के तहत रोजगार, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाएगा।
क्षेत्र में शांति स्थापना की ओर एक कदम
सुकमा जिले में आत्मसमर्पण की बढ़ती घटनाओं से यह संकेत मिलता है कि सुरक्षा बलों और पुनर्वास नीति के संयुक्त प्रयासों के कारण नक्सली हिंसा का प्रभाव कम हो रहा है। अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में और भी नक्सली संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौटेंगे, जिससे क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी।