अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया था। वह ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार करते भी कई बार देखे गए। ट्रंप अब राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में ट्रंप और मस्क के रिश्ते की एक तरह से परीक्षा भी होनी है। खासतौर से चीन को लेकर दोनों दिग्गजों के बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं। दरअसल, मस्क की कंपनियों का चीन में अच्छा-खासा साम्राज्य है। जानकारों का कहना है कि मस्क के चीन के साथ गहरे संबंध ट्रंप से उनके उभरते रिश्तों में बाधा डाल सकते हैं।
वाशिंगटन और बीजिंग के बीच एक तरह का नाजुक संतुलन रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि मस्क इसमें पुल या ब्रेकिंग पॉइंट के रूप में काम करते हैं। मस्क हाई रैंकिंग वाले चीनी अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं। वह अक्सर चीन पर सख्त आर्थिक नीतियों का विरोध भी करते हैं। यह ऐसा रुख है जो ट्रंप के साथ रिश्ते पर संभावित दरार पैदा कर सकता है। एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सदस्य नील थॉमस ने कहा, ‘ट्रंप और मस्क के बीच मतभेद हो सकते हैं। मस्क चीन पर कड़ी आर्थिक नीतियों का विरोध करते रहे हैं। ऐसा हो सकता है कि ट्रंप को यह बात पसंद न आए।’
व्यापार असंतुलन पर गंभीर ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के व्यापार असंतुलन पर गंभीर नजर आते हैं। विशेषकर चीन के साथ टैरिफ को लेकर मामला गरमा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका 800 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे का सामना कर रहा है। इससे निपटने के लिए टैरिफ आवश्यक हैं, जिसमें चीन का बड़ा हिस्सा शामिल है। माना जा रहा है कि ट्रंप कई नए उपायों के साथ घरेलू अर्थव्यवस्था को तेज विकास पथ पर ले जाएंगे। हालांकि, टैरिफ बढ़ना विदेशियों के साथ ही अमेरिकी लोगों के लिए भी नकारात्मक हो सकता है। ऐसे में इन उपायों से तालमेल बिठाने की जरूरत पड़ेगी।
शी जिनपिंग का क्या है रुख
यह जरूर है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। जिनपिंग ने कहा कि वह अमेरिका के नए प्रशासन के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन और अमेरिका के संबंध न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह मानवता और भविष्य के लिए भी अहम हैं। सोच-समझ कर चयन करें। दो प्रमुख देशों के बीच बेहतर संबंध बनाने के लिए सही रास्ता तलाशें।’ उन्होंने ट्रंप का नाम लिए बिना चुनाव प्रचार के दौरान आयात के संबंध में दिए गए उनके बयान पर चिंता जाहिर की और कहा कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ सकता है।