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रंगों की होली में न खोएं अपनी त्वचा की सेहत!

Report by manisha yadav

होली की मस्ती रंगों के बिना अधूरी मानी जाती है। होली से कई दिन पहले ही बाजार लाल, पीला, नीला और हरे रंग से सजे हुए नजर आने लगते हैं। लोग एक दूसरे को रंगने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। लेकिन होली के इस हुड़दंग के बीच रंग में भंग तब पड़ जाता है, जब हर साल केमिकल रंग की वजह से लोगों को होने वाली स्किन प्रॉब्लम की खबरों से अखबार भरे हुए रहते हैं। ऐसे में हर किसी के मन में एक सवाल आता है कि क्या कोई ऐसा तरीका है, जिससे बाजार से रंग खरीदते समय उसके असली और नकली होने के बारे में पता लगाया जा सके। अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो आपको बता दें, ऐसे एक नहीं बल्कि 3 तरीके हैं, जिनकी मदद से आप होली के रंग में केमिकल की मिलावट की पहचान कर सकते हैं।

मिलावटी होली के रंग की पहचान करने के टिप्स

चमकीले रंग ना खरीदें

बाजार में मिलने वाले होली के अधिक चमकदार और गहरे रंग असल में नकली होते हैं। इस तरह के रंग में कांच के पाउडर, बारीक रेत, मरकरी सल्फाइड जैसी चीजों की मिलावट की जाती है। जिसकी वजह से होली का रंग देखने में अधिक चमकीला लगता है और त्वचा पर लगने पर स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए होली पर बहुत ज्यादा चमकदार रंग खरीदने से बचें।

हाथों में लेकर करें पहचान

गुलाल खरीदने से पहले उसे एक बार हाथों में लेकर चेक करें। अगर रंग छूने पर बहुत ज्यादा चिकना या रूखा लगे तो समझ जाए की रंग में सिंथेटिक केमिकल की मिलावट हो सकती है। जबकि प्राकृतिक रंगों में मिलावट नहीं होने की वजह से वो ना तो बहुत ज्यादा चिकने होते हैं और ना ही बहुत ज्यादा रूखे होते हैं।

सूंघकर चेक करें

यह उपाय होली के रंग में मिलावट की पहचान करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है। इस उपाय को करने के लिए थोड़ा सा गुलाल हथेली पर रखकर सूंघे। अगर गुलाल से पेट्रोल, मोबिल ऑयल, केरोसिन तेल, केमिकल, या खुशबूदार किसी चीज की गंध आ रही हो तो समझ जाएं गुलाल और रंग नकली है। इस बात का खास ख्याल रखें कि कभी भी प्राकृतिक रंगों की गंध तेज नहीं होती है।

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