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पीएम मोदी और मोहम्मद यूनुस की ऐतिहासिक मुलाकात: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पहली बार हुई बैठक

Report by manisha yadav

पीएम नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की है। बांग्लादेश ने मीटिंग का अनुरोध किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर से मुलाकात की। ये शेख हसीना के तख़्तापलट के बाद पीएम मोदी और मोहम्मद युनूस की पहली मुलाकात है। बीते साल 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आई थीं। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी रही है।

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ भारत की ये पहली हाई लेवल मीटिंग थी, जो अब खत्म हो चुकी है। ये बैठक पूरे 40 मिनट तक चली, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हुई।

इससे पहले कल रात BIMSTEC डिनर में दोनों नेता एक साथ दिखाई दिए थे। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को दोनों के बीच मुलाकात होने का दावा किया था। पीएम मोदी ने BIMSTEC देशों की 6वीं समिट में भी हिस्सा लिया। इस दौरान थाईलैंड की प्रधानमंत्री पेइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने उनका स्वागत किया।

मोदी और यूनुस की मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि बांग्लादेश में हसीना सरकार के सत्ता से बाहर होने और वहां अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में गिरावट आई है। इसके अलावा, कुछ हलकों में यह सवाल भी उठाया गया है कि बांग्लादेश के प्रशासन पर यूनुस का कितना नियंत्रण है। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में यूनुस ने चीन का दौरा किया था और वहां दिए गए उनके कुछ बयान पूर्वोत्तर क्षेत्र को लेकर भारत के लिए असहज करने वाले रहे।

BIMSTEC क्या है, भारत के लिए यह जरूरी क्यों है…

1990 के दशक में शीत युद्ध के अंत और सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया तेजी से बदली। ग्लोबलाइजेशन के दौर में देशों को आर्थिक गठबंधन बनाने पर मजबूर होना पड़ा। साउथ और साउथ-ईस्ट एशिया के देशों में इस बात की जरूरत महसूस हुई।

साउथ-ईस्ट एशियाई देशों के पास ASEAN (Association of Southeast Asian Nations) था, जो काफी हद तक सफल था, लेकिन इसमें भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों को कोई जगह नहीं मिली थी। यानी, भारत और उसके पड़ोसी देशों के लिए कोई ऐसा मंच नहीं था जो आर्थिक सहयोग को मजबूती से आगे बढ़ा सके। थाईलैंड के पूर्व विदेश मंत्री थानात खमनन ने 1994 में BIMSTEC की स्थापना का विचार दिया था। थाईलैंड ने ‘लुक वेस्ट पॉलिसी’ के तहत एक क्षेत्रीय ग्रुप के गठन का प्रस्ताव रखा था जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ सके। भारत को भी अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत दक्षिण पूर्व एशिया के साथ अपने संबंध मजबूत करने थे। इसलिए दोनों देशों की पहल पर 1997 में इसका गठन हुआ।

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