Report by manisha yadav
भाजपा की नेता रहीं एल. विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाई कोर्ट की अडिशनल जज बनाए जाने के खिलाफ दायर अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि हम कॉलेजियम को यह आदेश नहीं दे सकते कि वह विक्टोरिया गौरी को लेकर अपनी सिफारिश पर दोबारा विचार करे। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘ अदालत में जज बनने से पहले मेरा भी राजनीतिक बैकग्राउंड रहा है। मैं 20 सालों से जज हूं और मेरा राजनीतिक बैकग्राउंड मेरे रास्ते में कभी आड़े नहीं आया।’ एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो वहीं दूसरी तरफ उसी समय एल. विक्टोरिया गौरी ने जज के तौर पर शपथ ले ली।

जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई की बेंच ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि कॉलेजियम को विक्टोरिया गौरी के राजनीतिक बैकग्राउंड या फिर उनके विवादित बयानों के बारे में जानकारी नहीं रही होगी। बेंच ने कहा कि गौरी को सिर्फ अडिशनल जज के तौर पर नियुक्ति दी गई है। ऐसे भी मामले हैं, जब अडिशनल जज के कामकाज के आधार पर उसे स्थायी नियुक्ति नहीं दी गई। मद्रास हाई कोर्ट के वकीलों की ओर से दो याचिकाएं दायर की गई थीं, जिसमें गौरी को हाई कोर्ट का जज बनाए जाने पर सवाल उठाया गया था। इन याचिकाओं में कहा गया था कि गौरी भाजपा से जुड़ी रही हैं। इसलिए उन्हें जज बनाने का फैसला गलत है और इससे न्यायपालिका की स्वायत्ता एवं स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
गौरी पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयान भी दिए थे। गौरी भाजपा के महिला मोर्चा की महासचिव रही हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को गौरी को मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद से गौरी के कई बयानों और लेखों को वायरल किया जाने लगा था, जिनमें उनकी विवादित राय सामने आई थी। इनको आधार पर बनाते हुए ही सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था। सुनवाई के दौरान एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने कहा कि हम गौरी का विरोध उनके राजनीतिक बैकग्राउंड की वजह से नहीं बल्कि हेट स्पीच के चलते कर रहे हैं।