Report by manisha yadav
26/11 आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को आखिरकर अमेरिका ने भारत को सौंप दिया है। राणा को बेड़ियों में जकड़कर भारत के हवाले किया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग की रिलीज के मुताबिक मुंबई में आतंकी हमले के बाद तहव्वुर राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली से कह था कि ये आतंकी पाकिस्तान में सेना के सबसे बड़े पुरस्कार ‘निशान-ए-हैदर’ के हकदार हैं।
डेविड कोलमैन हेडली ने मुंबई में हमले के लिए रेकी की थी। वह पाकिस्तान के आतंकियों के इशारे पर काम करता था। मुंबई में हुए आतंकी हमले में कम से कम 166 लोग मारे गए थे। वहीं इनमें 6 अमेरिकियों की भी जान चली गई थी। अमेरिका का कहना है कि उसने हमले के आरोपियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए हमेशा भारत का समर्थन किया है।
विदेश विभाग ने कहा, अमेरिका ने हमेशा ही इस बात का समर्थन किया है कि जो लोग भी हमले के जिम्मेदार हैं उनको इसकी सजा मिले। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका दुनियाभर में आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मिलकर लड़ाई लड़ेगा। 64 साल के तहव्वुर राणा को बुधवार को भारत लाया गया। इसके बाद एनआईए ने राणा को 18 दिन की हिरासत में लिया है। 26/11 हमले की साजिश को लेकर एनआईए तहव्वुर राणा से पूछताछ करेगी।
एनआईए ने कहा कि तहव्वुर राणा से हमले को लेकर सारे राज उगलवाने की कोशिश की जाएगी। तहव्वुर राणआ ने डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी की आतंकी हमला करने में मदद की थी। इस हमले ने भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर को हिलाकर रख दिया था। मुंबई के ताज होटल और ओबराय समेत जिन जगहों को भी आतंकियों ने टारगेट किया था वहां काफी संख्या में विदेशी भी मौजूद थे। विदेशी भी आतंकियों की गोली का शइकार हो गए थे।
आतंकियों ने एक रेलवे स्टेशन, दो होटलों और यहूदियों के सेंटर को निशाना बनाया था। आतंकी अरब सागर के रास्ते भारत में दाखिल हुए थे। आतंकियों ने 60 घंटे तक गोलीबारी की और इसके बाद मारे गए। एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था जिसे बाद में फांसी की सजा दी गई।