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नवरात्रि हवन के लिए आवश्यक सामग्री और विधि

Report by manisha yadav

नई दिल्ली, चैत्र नवरात्रि अष्टमी 5 अप्रैल व नवमी 6 अप्रैल को है। ये दोनों ही दिन हवन पूजन के लिए उत्तम माने गए हैं। कई लोग अष्टमी तो कई नवमी के दिन हवन पूजन करते हैं। हवन को हमेशा सही विधि से करना चाहिए। हवन पूजन पंडित जी द्वारा कराने पर शुभ और फलदायक माना जाता है लेकिन आप खुद भी घर पर हवन पूजन कर सकते हैं। आइए जानते हैं, हवन पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र व सामग्री-

मुहूर्त: अष्टमी पर पूरे दिन शुभ समय है, लेकिन 10.30 से 12 बजे तक विशेष पूजन मुहूर्त है। रामनवमी पर सुबह नौ से 10.30 बजे तक बहुत लाभकारी मुहूर्त है। पूजन व कन्या पूजन दोनों श्रेष्ठ रहेगा (ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत)। पांच अप्रैल को सूर्योदनी अष्टमी तिथि शुभ योग में पुनर्वसु नक्षत्र में विद्यमान है। यह शाम 7:29 बजे तक है। छह अप्रैल को सूर्योदनी नवमी तिथि शाम 7:26 बजे तक है। 6 अप्रैल रविवार को दुर्गानवमी के साथ रामनवमी भी है। यह जानकारी दी ज्योतिषचार्य भारत ज्ञान भूषणजि ने।

5 अप्रैल को अष्टमी, हवन व कन्या पूजन मुहूर्त

शुभ योग सुबह- 07:41-09:15 बजे तक

अभिजित योग- 11:59 -12:49 बजे तक

लाभामृत मुहूर्त- दोपहर 01:58- 05:06 बजे तक

6 अप्रैल को नवमी हवन व कन्या पूजन मुहूर्त

लाभामृत मुहूर्त- प्रातः 09:15 से दोपहर 12:23 बजे तक रहेगा।

राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त – 11:08 से 13:39

अवधि – 02 घण्टे 31 मिनट्स

आज और कल कैसे करें नवरात्रि हवन, जानें हवन विधि: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें। हवन कुंड को साफ कर लें। इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड स्थापित करें। पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। ऊं आग्नेय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अग्नि देव का ध्यान करें। ऊं गणेशाय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अगली आहुति दें। इसके बाद नौ ग्रहों (ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा) और कुल देवता (ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा) का ध्यान करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए आहुति डालें। अंत में बची हुई हवन सामग्री को एक पान के पत्ते पर एकत्रित कर, पूड़ी, हलवा, चना, सुपारी, लौंग आदि रख आहुति डालें। इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ मां की आरती करें। पूड़ी, हलवा, खीर या श्रद्धानुसार भोग लगाएं। आचवनी करें। क्षमा प्रार्थना करें। सभी को आरती दें और प्रसाद खिलाएं।

सामग्री: नवरात्रि की हवन सामग्री में हवन कुंड, नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, कलावा, अश्वगंधा, घी, फूल, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, अक्षत, कपूर, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि को शामिल करना चाहिए।

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