नक्सलवाद के खात्मे का टाइम करीब, अमित शाह के आदेश पर अमल शुरू; 3000 BSF जवान भेजे जाएंगे छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में अब नक्सलवाद के खात्मे का समय नजदीक आ गया है। 3,000 से अधिक कर्मियों वाली बीएसएफ की तीन बटालियनें ओडिशा से छत्तीसगढ़ जाएंगी और इतनी ही संख्या में आईटीबीपी इकाइयां नक्सली गढ़ अबूझमाड़ में आगे बढ़ेंगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि माओवाद विरोधी अभियान उनके आखिरी दौर में चलाया जा रहा है।

नए ऑपरेशन का खाका उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की थी कि भारत वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) को खत्म करने के कगार पर है। शाह ने 1 दिसंबर को झारखंड के हजारीबाग में बीएसएफ के 59वें स्थापना दिवस पर बीएसएफ जवानों को संबोधित करते हुए कहा था कि बीएसएफ, सीआरपीएफ और आईटीबीपी जैसे बलों द्वारा वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ आखिरी प्रहार प्रक्रिया में है। हम देश में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इन बलों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) कहा जाता है।

बीएसएफ सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में छह नए सीओबी या कंपनी ऑपरेटिंग बेस बनाने का निर्देश दिया गया है, जिसमें शुरुआत में ओडिशा के मलकानगिरी में स्थित अपनी एक बटालियन को अंतर-राज्य सीमा के पार ले जाया जाएगा। बीएसएफ की एक बटालियन में 1,000 से अधिक कर्मियों की क्षमता होती है।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की वर्तमान में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, राजनांदगांव और कोंडागांव जिलों में लगभग आठ बटालियन तैनात हैं। उसे अबूझमाड़ के मुख्य क्षेत्र के अंदर एक यूनिट को आगे बढ़ाने के लिए कहा गया है। यह नारायणपुर जिले में लगभग 4,000 वर्ग किमी का वन क्षेत्र है और सशस्त्र नक्सली कैडरों का गढ़ माना जाता है।

अभुजमाड़ या ‘मध’ जंगल के पास बसे लगभग 237 गांवों में करीब 35,000 लोगों की आबादी रहती है। इनमें मुख्य रूप से आदिवासी हैं। वर्तमान में, इस क्षेत्र में कोई स्थायी केंद्रीय या राज्य पुलिस बेस नहीं है और कहा जाता है कि सशस्त्र माओवादी कैडर राज्य के दक्षिण बस्तर क्षेत्र में छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा के पार से यहां काम कर रहे हैं, ट्रेनिंंग ले रहे हैं और यहां आ-जा रहे हैं।

बस्तर क्षेत्र जिसमें दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर से लेकर नारायणपुर और कोंडागांव और आगे उत्तर में कांकेर जिले शामिल हैं, आखिरी गढ़ और गलियारा है जहां माओवादियों के पास कुछ ताकत है और वे सुरक्षा बलों और प्रशासन के खिलाफ हैरतअंगेज कर सकते हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बल माओवादी नेटवर्क को ध्वस्त करने और क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए यहां अपनी नई ताकत और बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं ताकि राज्य सरकार द्वारा विकास कार्य शुरू किए जा सकें। उन्होंने कहा कि बाद में बीएसएफ और आईटीबीपी की दो और बटालियनों को दक्षिण बस्तर के साथ छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर और अधिक प्रभुत्व स्थापित करने के लिए भेजा जाएगा।

एक दूसरे सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि नक्सली मलकानगिरी, कोरापुट और कंधमाल जैसे ओडिशा जिलों में आने-जाने के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर के रास्ते का उपयोग कर रहे हैं और इसलिए केंद्रीय बलों को इन दोनों की सीमा पर अधिक सीओबी या फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस बनाने का काम सौंपा गया है। दूसरे अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी नेतृत्व में लगभग 800-900 सक्रिय कैडर हैं, कंधमाल-कालाहांडी-बौध-नयागढ़ (केकेबीएन) डिवीजन के तहत ओडिशा में सीपीआई (माओवादी) की ताकत केवल 242 सक्रिय कैडर के साथ समाप्त हो गई है।

242 में से केवल 13 ओडिशा से हैं, जबकि माओवादियों के बाकी वरिष्ठ और मध्य स्तर के नेतृत्व छत्तीसगढ़ से हैं। इसलिए, जनवरी में होने वाली विभिन्न एजेंसियों की बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन को एक ऑपरेशन के हिस्से के रूप में तेज किया जाएगा, जिसे ‘कगार’ (एज) नाम दिया जा सकता है।

गृह मंत्री शाह ने बीएसएफ स्थापना दिवस पर कहा कि पिछले 10 वर्षों में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 52 फीसदी की कमी आई है। इन घटनाओं में होने वाली मौतों में 70 फीसदी की कमी आई है और प्रभावित जिलों की संख्या 96 से घटकर 45 हो गई है। उन्होंने कहा था कि एलडब्ल्यूई प्रभावित पुलिस स्टेशनों की संख्या 495 से घटकर 176 हो गई है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार विभिन्न राज्यों में वामपंथी हिंसा को खत्म करने के कगार पर है। उन्होंने झारखंड में ‘बुरापहाड़’ और ‘चकरबंधा’ की पहाड़ियों और जंगलों में सुरक्षा बलों द्वारा हाल ही में किए गए अभियानों को भी गिनाया, जिससे बड़े इलाके को माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया गया।

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