भगवान बुद्ध ने यहीं से दिया था शांति का संदेश

राजगीर का गृद्धकूट पर्वत; भगवान बुद्ध ने यहीं से दिया था शांति का संदेश, हर साल देश-विदेश से घूमने आते हैं पर्यटक

भगवान बुद्ध गया से ज्ञान पाने के बाद जिस पथ से राजगीर आए थे उसे बुद्ध पथ के नाम से जाना जाता है। यह रास्ता जेठियन से होते हुए राजगीर तक आया था।

राजगीर का गृद्धकूट पर्वत; भगवान बुद्ध ने यहीं से दिया था शांति का संदेश, हर साल देश-विदेश से घूमने आते हैं पर्यटक

बिहार में एक से बढ़कर एक टूरिस्ट स्पॉट है। इनमें से ही एक राजगीर भी है। ये स्थान खूबसूरत नेचर और धार्मिक तीर्थ स्थलों के लिए जाना जाता है। यहां का गृद्धकूट पर्वत बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पवित्र स्थल है। राजगीर आने वाले बौद्धिस्ट हर हाल में गृद्धकूट पर्वत तक जरूर जाते हैं। दरअसल भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्त करने से पहले और ज्ञान प्राप्त के बाद कई बार राजगीर आए और यहां वर्षावास किया था।

भगवान बुद्ध गया से ज्ञान पाने के बाद जिस पथ से राजगीर आए थे उसे बुद्ध पथ के नाम से जाना जाता है। यह रास्ता जेठियन से होते हुए जंगल के बीच से जरासंध अखाड़ा, सोन भंडार होते हुए राजगीर तक आया था। हालांकि अब इसे वन विभाग ने नेचर सफारी बना दिया है। राजगीर के गृद्धकूट पर्वत की बात करें तो यह बौद्ध धर्म के लिए पवित्र स्थान माना जाता है। यहां पर कोई प्रतिमा या मूर्ति नहीं है। बस यहां पर एक पिंडी है जिसकी पूजा होती है। हालांकि यहां बुद्ध की 600 ईसा पूर्व की प्रतिमा पाई गई फिलहाल इसे नालंदा के पुरातत्व संग्रहालय में रखी गई है।

चारों तरफ हरे-भरे जंगल और चट्टानों से गिरा ये स्थान शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। करीब 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पर्वत पर देश-विदेश से लोग घूमने आते हैं। पर्वत पर चढ़ाई के दौरान एक स्थआन पर चट्टानों की आकृति गिद्ध की चोंच जैसी प्रतीत होती है। इस स्थान को पर आने वाले यात्री खूबसूरत नजारों को निहारना नहीं भूलते हैं।

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